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परसाई के राजनीतिक व्यंग्य

हरिशंकर परसाई

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9709
आईएसबीएन :9781613014189

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राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।


दोस्तोवस्की, मुक्तिबोध के प्रसंग में


एक लंबे साक्षात्कार के दौरान मुझसे पूछा गया - रूसी लेखक दोस्तोवस्की और मुक्तिबोध दोनों त्रासद स्थितियों से गुजरे, दोनों ने बहुत कष्ट भोगे, हमेशा असुरक्षित रहे। ऐसा ही जीवन आपका रहा। फिर आपने दोस्तोवस्की और मुक्तिबोध जैसा क्यों नहीं लिखा ? उनके जैसा भयावह अवसाद और कुत्सा आपके लेखन में क्यों नहीं है। आपने अनायास या सायास उन त्रासद स्थितियों को मखौल और व्यंग्य में क्यों उड़ा दिया? कैसे उड़ा दिया? मैंने इस सवाल का जवाब दे दिया।

मगर तुलना अकसर गलत होती है। दोस्तोवस्की और मुक्तिबोध में अंतर है। यह सही है कि दोस्तोवस्की ने रूसी समाज के और मनुष्य के मन में अँधेरे से अँधेरे कोने देखे थे और उनका तकलीफदेह चित्रण किया था। गरीब, भुखमरे, पददलित, अन्यायपीडित, ठंड में ठिठुरते, जिनकी आत्मा मर चुकी है, जो पागल हो गए हैं, नीच हो गए हैं, दयनीय हैं पर कूर हो हो गए हैं, पतित हो गए हैं। इनकी आशा मर चुकी है। ये जड़ हो गए हैं। अपने दुख को नियति मानकर ये सहे जा रहे हैं और मजबूरन जिए जा रहे हैं। इन्हें न क्रोध आता और न ये प्रयत्न और संघर्ष करना चाहते हैं। हद दर्जे की पतनशीलता। 'स्टिल लाइफ' जैसा चित्रण दोस्तोवस्की ने किया है। पढ़कर मन अवसाद से भर जाता है। दूसरा उच्चवर्ग अत्याचारी, संपन्न, शोषक, हृदय हीन है जो इन्हें मुर्दे समझता है। हर जमींदार जनरल के पास सैकड़ों गुलाम हैं। इनसे चाबुक मारकर काम कराया जाता है।

दोस्तोवस्की, संवेदनशील है। दुखी है। 'ईडियट' उपन्यास में जिसका नायक प्रिंस मिश्किन है, जो काफी हद तक दोस्तोवस्की ही है, प्रिंस मिश्किन से हर दुखी को सुखी बनाने का प्रयत्न करवाता है। प्रिंस मिश्किन बहुत संवेदनशील, दयालु, सबका भला चाहनेवाला अव्यवहारिक भला आदमी है। सीधा है। जटिलताएँ नहीं समझता। वह एक जमींदार की दुखी रखैल से शादी करके उसे सुखी करना चाहता है। पर वह स्त्री आस्था खो चुकी है। अर्द्ध विक्षिप्त है। वह दूसरे के साथ भाग जाती है।

प्रिंस मिश्किन एक जनरल जमींदार के यहाँ काम करता है। जनरल की तीन लड़कियाँ हैं। सबसे छोटी एगलाइया सबसे सुंदर है। पर बड़ी अहंकारिणी है। प्रिंस मिश्किन उसके प्रति आकर्षित है। एगलाइया उसके भलेपन और गुणों के कारण उस पर ध्यान देती है। उसका बचाव करती है। वह उसे श्रेष्ठ मनुष्य मानती है। पर यह श्रेष्ठ मनुष्य बीमार है। उसे मिर्गी के दौरे आते हैं। एक पार्टी में जब प्रिंस की हरकत पर लोग हँसते हैं, तब एगलाइया चिल्लाती है - तुम इन लोगों की परवाह मत करो। ये उस रूमाल को उठाने योग्य भी नहीं हैं, जो तुम्हारे हाथ से गिर गया हो।

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