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परसाई के राजनीतिक व्यंग्य

हरिशंकर परसाई

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9709
आईएसबीएन :9781613014189

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राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।

भारत से अंग्रेज मजदूर ले जाते थे। इन मजदूरों को 'गिरमिटिया' कहते थे। वे उन्हें जहाज में भर भरकर अफ्रीका ले जाते थे और वहाँ गुलामों की तरह काम कराते थे। इनके दुखों और संघर्ष को लेकर शायद चकबस्त ने लिखा है-

कहाँ हैं कौम के हमदर्द,

कौम के हमसाज,

हवा के साथ आती है,

बहती हुई आवाज,

वतन से दूर हैं हम पर निगाह कर लेना,

इधर भी आग लगी है, जरा खबर लेना....

यह अफ्रीका के भारतीयों की पुकार अपने भारतवासी भाइयों से है। अफ्रीकी मूल निवासी, कालों का संघर्ष बहुत था। वहाँ की गोरी सरकार बहुत दमन करती रही। नेल्सन मंडेला 27 साल जेल में रहे। उनकी पत्नी विनी मंडेला भी जेल में रहीं।

उसने एक पुस्तक लिखी है- 'आउट आफ माई हार्ट'। इसमें उनकी पार्टी के संघर्ष के विषय में तो लिखा ही है, मंडेला परिवार के संबंध में भी लिखा है। संघर्ष में कितने व्यस्त रहते थे ये लोग। एक वाक्य उसमें लिखा है- ''हम एक साथ, एक दूसरे के बिना रहते थे।'' यानी अपने अपने काम पर निकल जाते थे, साथ कभी-कभी होता था। विनी मंडेला भी संघर्ष करती रहीं। उसे मंडेला के जेल से निकलने के बाद उसकी पाटीं ने निकाल दिया। उस पर कुछ आरोप लगाए गए। कुछ आरोप चरित्र संबंधी भी थे। एक आरोप यह कि उसने हत्या करवाई। विनी मंडेला ने युवा लोगों को लेकर एक संगठन बना लिया था जिस का नाम था - 'मंडेला फुटबाल टीम'। यह टीम फुटबाल तो नहीं खेलती थी, विनी के कहने पर उपद्रव करती थी। वह पदस्थापना के उत्सव में ठाठ से शामिल हुई। नेल्सन मंडेला से उनका तलाक नहीं हुआ है बल्कि वे अलग-अलग हो गए हैं।

विश्व जनमत अफ्रीकियों की स्वाधीनता के पक्ष में रहा है। नेल्सन मंडेला ने पदग्रहण समारोह में महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू का आदरपूर्वक नाम लिया।

राष्ट्रसंघ में अनेक प्रस्ताव आए। गोरी सरकार पर दक्षिण अफ्रीका से संबंध तोड़ लेने की सरकारों से अपील की गई। कई सरकारों ने उस देश से संबंध तोड़ लिए। भारत शुरू से ही अफ्रीकियों में स्वाधीनता के अधिकार का समर्थन करता रहा है। ब्रिटेन का वह उपनिवेश ही था पर अमेरिका ने उससे संबंध नहीं तोड़े। उसने एक शब्द उपयोग करके कहा कि हमारा दक्षिण अफ्रीका से 'कंस्ट्रक्टिव एंगेजमेंट' है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो हमारा उससे राजनैतिक आर्थिक संबंध है, जिसे हम नए शब्द दे रहे हैं। महात्मा गाँधी भी विचित्र थे। जब वे अफ्रीका में थे तब जनरल श्मट्स गोरे शासन का प्रधान था। गाँधीजी उससे लड़ते थे रंगभेद के खिलाफ। पर 'बोर' युद्ध के समय उन्होंने जनरल श्मट्स से सहयोग किया।

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