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परसाई के राजनीतिक व्यंग्य

हरिशंकर परसाई

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9709
आईएसबीएन :9781613014189

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राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।

पागल दुनिया की क्या सभ्यता और क्या संस्कृति? टेलीविजन से लोगों को और शिकायतें हैं। मसलन यह कि विज्ञापन बहुत होते हैं। मैं कहता हूँ कि विज्ञापनों के कारण तो हमें रामलीला और कृष्णलीला देखने को मिल जाती है। कई करोड़ के विज्ञापन नहीं होते तो 'रामायण' और 'महाभारत' हमें टी. वी. पर देखने को नहीं मिलते। भगवान विज्ञापन के भरोसे हैं। कृष्ण छाप जाफरानी तंबाकू के डब्बे पर मोर मुकुटधारी कृष्ण बंसी बजाते हुए दिखते हैं। हम हाथ जोड़ लेते हैं। राम छाप तंबाकू का डब्बा हमने नहीं देखा। राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। वे तंबाकू-दारू वगैरह पसंद नहीं करते थे। विज्ञापनों में जवान, खूबसूरत माडल युवक युवती दिखते हैं। कितने अच्छे लगते हैं। किसी कंपनी की साड़ी या उसके कपड़े का सूट पहिनने से इनमें प्रेम हो जाता है। नायिका भेद और नख-शिख श्रृंगारवाले आचार्य इन विज्ञापन नायिकाओं की मुद्राओं का अध्ययन करें। ये शास्त्रों में नहीं है। हम रंगीन पत्रिकाओं में चड्डी का विज्ञापन बड़ी रुचि से देखते हैं। कार खड़ी है। नायिका है। नायक ड्रेसिंग गाऊन पहिने हैं, जिसकी बटने खुली हैं। उसकी चड्डी दिखती है। सामने खलनायक है जिस पर नायक घूँसा ताने है। भयातुर नायिका नायक को रोकती है। इस पिलपिले नायक में इतनी ताकत कैसे आ गई? उस खास कंपनी की चड्डी पहिनने से। कुछ लोग कहते हैं कि यह विज्ञापन कुरुचिपूर्ण है। मैं कहता हूँ- चड्डी के विज्ञापन में क्या नायक को रजाई से लिपटा हुआ दिखाते?

दो वृद्ध सज्जन मेरे पास बैठे थे। एक ने कहा - टेलीविजन हम बूढ़ों पर बड़ा अन्याय करता है। बूढ़ा आदमी या तो दीन दिखाया जाता है या दुष्ट। बूढ़े के दूसरे रूप नहीं हैं क्या? दूसरे ने मजाक किया - हैं, दूसरे रूप भी हैं। जोड़ों के दर्द की दवा लगाकर पोपले मुँह से हँस रहे हैं। क्या यह रूप टेलीविजन पर दिखाया जाए? तुम्हें अच्छा लगेगा? मैंने कहा - उदार और प्रसन्न बूढ़े भी दिखाए जाते हैं। कम दिखाए जाते हैं। पहले बूढ़े ने कहा- दिखाए जाते होंगे, प्रसन्न बूढ़े। हमने नहीं देखे। दूसरे बूढ़े ने कहा- तुम्हें प्रसन्नता दिखेगी ही नहीं क्योंकि तुम अपनी उदासी पर आत्म-मोहित हो।

तुम्हारा हाल है -

आगे आती थी हाले दिल पे हँसी,

अब किसी बात पर नहीं आती।

उदास बूढ़े ने टीप जड़ी क्योंकि-

कोई सूरत नजर नहीं आती,

कोई तदबीर दर नहीं आती।

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