ई-पुस्तकें >> नीलकण्ठ नीलकण्ठगुलशन नन्दा
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गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास
'मालिक!'
'घर में आप कुछ सही किंतु कारखाने की मालिक आप ही हैं।'
'लेकिन-’
'आप छोड़िए इसको - क्या सेवा करूँ?'
'पहले यह कहिए बेला कहाँ है?'
'अस्पताल में-’
'उसका स्वास्थ्य-’
'अच्छा है - संदेश भेजा है उसने?'
'क्या?'
'अपनी भूल की क्षमा माँगी है।'
संध्या ने आनन्द की ओर देखा और फिर बोली-'यह उसका संदेश नहीं - आपके मन की आवाज है - आप उसके लिए झूठ बोल रहे हैं।'
आनन्द ने आँखें नीची कर लीं। वास्तव में उसने झूठ बोला था।
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