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नीलकण्ठ

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :431
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9707
आईएसबीएन :9781613013441

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गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास

जब उसने दोबारा कमरे में प्रवेश किया तो बेला आनन्द का बिस्तर बिछा रही थी। उसने मुस्कराते हुए आनन्द का स्वागत किया। आनन्द ने समीप आकर पूछा-'परंतु तुम्हारा क्या होगा?'

'क्यों?'

'बिस्तर एक - और सोने वाले दो।'

'तो क्या हुआ - एक रात ही तो है- आप सो जाइए मैं आपके सिरहाने बैठकर रात बिता दूँगी।'

'यह कैसे हो सकता है - बिस्तर आधा-आधा बांट लेते हैं।'

'वाह! क्या लिहाफ के दो टुकड़े कीजिएगा।'

'नहीं तो - परंतु-’

'परंतु क्या-आधी रात आप आराम कर लें, आधी रात मैं - हिसाब बराबर रहेगा।'

आनन्द हँसने लगा। बेला ने भी उसका साथ दिया। आज बड़े समय पश्चात् दोनों एक साथ खुलकर हँसे थे।

रात का अंधकार बढ़ता गया। बत्ती बंद करने पर कमरे में भी कालिका का राज्य हो गया। बाहर तेज हवा चल रही थी। बादल कभी-कभी इतनी जोर से गरजते कि बेला डर से कांप उठती।

वह बिस्तर पर किनारे बैठी आनन्द के बालों को सहलाती रही जो अर्द्ध-निद्रा में लेटा आनन्द ले रहा था। वह जानता था कि बेला बैठी नींद को आँखों से दूर करने के प्रयत्न में है फिर भी वह लेटा देखता रहा कि कब तक वह यों बैठी रहेगी।

कुछ समय पश्चात् आनन्द की अटैची से पाउडर निकालकर वह धीरे-धीरे उसकी पीठ पर मलने लगी। आनन्द के शरीर में एक गुदगुदी-सी होने लगी। उसे लगा जैसे कोई नन्हा बालक अपने नन्हें-नन्हें नर्म होंठों से उसके शरीर पर प्यार के चिह्न अंकित कर रहा हो। कभी-कभी अनजाने में आनन्द उसका हाथ रोक लेता और उठाकर अपने बेचैन हृदय पर फेरने लगता।

बेला ने धीरे-धीरे अपने पाँव उठाकर पाँव बिस्तर पर रख लिए और आनन्द ने ठंड से बचने के लिए उन्हें लिहाफ में कर लिया।

दिन भर की थकी-मांदी बेला झुककर कंधे का सहारा लेकर आराम करने लगी। जैसे ही उसके जलते हुए होंठ आनन्द के कंधे पर लगे उसके शरीर में बिजली की लहर-सी दौड़ गई। लिहाफ में लिपटे बेला के मन की धड़कन उसके कानों में एक मधुर तान भर रही थी।

बिजली की चमक, बादल की गरज, बरसात की बौछार कमरे की खिड़की और किवाड़ों से टकराकर रह जाती। दोनों को इसकी कोई सुध न थी। उनके मन का तूफान इससे कहीं अधिक बढ़कर था।

ठंड बढ़ती गई और बेला धीरे-धीरे पाँव फैलाती लिहाफ में गुम होती गई। दोनों एक-दूसरे के और समीप होते गए। दोनों की धड़कनों ने एक-दूसरे को समझना आरंभ कर दिया।

बाहर बिजली चमकी और साथ ही जोर का धमाका हुआ। बेला डर से आनन्द से लिपट गई।

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