ई-पुस्तकें >> नीलकण्ठ नीलकण्ठगुलशन नन्दा
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गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास
'शी-शी' - होंठों पर उंगली रखते हुए वह बोली, 'जरा धीरे बोलो, कोई बिल्ली झपट पड़ी तो दोनों मुँह देखते रह जाएँगे।'
'बिल्ली'- आनन्द ने दृष्टि घुमाकर सामने देखा और चौंककर सोफे से उठ बैठा। संध्या भी अंगूर तश्तरी में रखे उसी ओर देखने लगी। द्वार में खड़ी बेला क्रोध और घृणा के शोले उगल रही थी। दोनों को देख जैसे ही वह आगे बढ़ी, आनन्द घृणा से नाक-भौं चढ़ा भीतर कमरे में चला गया। संध्या ने आँखें चार करते हुए कहा- 'आओ बेला।'
'मुझे उनसे मिलना है' - वह कठोर स्वर में असावधानी से बोली।
'किनसे' - संध्या ने भोली बनकर पूछा।
'तुम्हारे नए अतिथि से।'
'कहिए - क्या काम है आपको उनसे?'
'प्राईवेट - शायद मैं तुम्हें न बतला सकूँगी।'
'तो मैं विवश हूँ - इस समय वे किसी दूसरे से मिलना पसंद नहीं करते।'
'दूसरा' - बेला ने क्रोध में दोहराते हुए कहा- 'तुम कौन हो मुझे रोकने वाली - जवानी के नशे में शायद तुम भूल गई हो कि वह मेरे पति हैं।'
संध्या उसकी बात पर खिलखिलाकर हँस पड़ी और कठिनाई से हँसी रोकते हुए बोली-’बेला होश में आओ - कहाँ तुम और कहाँ वह - गलियों की नर्तकी का मंदिर के देवता से क्या मेल?'
'दीदी, तुम अपनी सीमा से आगे बढ़ रही हो' - वह चिल्लाते हुए बोली।
'तो तुम भी कान खोलकर सुन लो - तुम अपना दांव हार चुकीं - अब हारे हुए जुआरी के समान गला फाड़ने से क्या लाभ, मैंने उन्हें नया जीवन दिया है - वह मेरे हैं।'
'दीदी - मत भूलो तुम एक चट्टान से टकरा रही हो।'
'और तुम भी यह मत समझो कि तुम्हारी दीदी का मन इतना कोमल है कि जब चाहो तोड़कर चल दो-’
बेला चुप रही और क्रोध में भरी बाहर चली गई। संध्या ने झट आनन्द को पुकारा और दोनों खिड़की से झट लपककर बाहर देखने लगे जहाँ बेला तेज-तेज पग उठाती हुई मोटर का दरवाजा खोल रही थी। बेला ने गाड़ी का शीशा उतारते हुए एक दृष्टि उन दोनों पर डाली और फिर असावधानी से गर्दन मोड़कर गाड़ी चला दी। आनन्द और संध्या एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कराने लगे।
'कहीं तुम्हारा यह नाटक कोई भयानक रूप न ले ले' - आनन्द ने पूछा।
'घबराइए नहीं - उसके स्वभाव से मैं परिचित हूँ।'
वर्षा का जोर कुछ घट चुका था। हुमायूं अपने घर के गोल कमरे में बैठा किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। उसे विश्वास था कि बेला अवश्य संध्या के घर गई होगी। वहाँ क्या हो रहा होगा वह यह जानने के लिए उत्सुक था परंतु अधूरी बात जानने के लिए टेलीफोन करना चाहता था।
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