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आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री और यज्ञोपवीत

गायत्री और यज्ञोपवीत

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9695
आईएसबीएन :9781613013410

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यज्ञोपवीत का भारतीय धर्म में सर्वोपरि स्थान है।


यज्ञोपवीत की तीन लड़ियाँ


यज्ञोपवीत में तीन लड़ें होती हैं। यह लड़ें हमारे लिए तीन महान् संकेत करती हैं। पुस्तकें मूक होती हैं पर उनके गर्भ में विचारों का भारी भण्डार जमा रहता है, मूर्तियाँ, प्रतिमायें, तस्वीरें, समाधियाँ, स्मारक, ऐतिहासिक भूमियाँ, यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से मौन होती हैं, निष्प्राण होने के कारण वे अपनी कोई बात किसी से नहीं कह सकतीं तो भी विचारवान् व्यक्ति जानते हैं कि उनमें कितने भारी सन्देश भरे होते हैं और यह निर्जीव पदार्थ मानव अन्तःकरण पर अपनी छाप इतनी डालते हैं जितनी कि सजीव प्राणी भी कठिनाई से डाल पाता है।

महात्मा गान्धी की समाधि दिल्ली में राजघाट पर है, उस स्थान पर पहुँचने पर भावनाशील अन्तःकरणों में महात्मा गाँधी की आत्मा सम्भाषण करती है। जलियाँवाला बाग में पैर रखते ही उन स्वाधीनता की बलिवेदी पर शहीद हुए अमर नर-नारियों की याद में आँखें सजल हो जाती हैं। एक मुसलमान से पूछिये कि मक्का शरीफ जाकर कितना उल्लास अनुभव करता है। राम, कृष्ण के उपासकों से पूछिये कि मथुरा और अयोध्या में जाने पर उन्हें कितनी मूल्यवान् प्रेरणा भावना और तृप्ति मिलती है। चित्तोड़ की रानियों का चिता-स्थल हल्दीघाटी अपना एक विशेष सन्देश देता है। पुनीत नदियाँ, तीर्थ, मन्दिर आदि के समीप जाते हैं तो वे अपनी मूक भाषा में हम से वार्तालाप करते हैं और अपना एक विशेष सन्देश देते हैं। यह सब यद्यपि प्रत्यक्षत: निर्जीव हैं तो भी इनके पीछे एक तथ्य जुड़ा रहता है, जिसके कारण वे मूक होते हुए भी वाकपटु, प्रभावशाली एवं प्रामाणिक व्याख्याता की भाँति हमसे कुछ कहते हैं। यज्ञोपवीत भी एक ऐसा ही मूक व्याख्याता गुरु है, जो प्रतिक्षण हमारे साथ रहता है और हर घड़ी बड़े-बड़े महत्त्वपूर्ण उपदेश देता रहता है। उसमें तीन लड़े हैं यह विश्वव्यापी तीन कर्तव्यों की ओर सदा हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं और बताती हैं कि आदर्श जीवन एक प्रकार का त्रिकोण है। इसमें तीन रेखायें हैं, इसमें तीन कोण हैं, जिनका ठीक प्रकार सन्तुलन रखने से ही सुन्दरता रहेगी, यदि यह सन्तुलन बिगड़ जाता है तो यह बड़ा भद्दा टेढ़ा-मेढ़ा, कुरूप हो जायेगा। इसलिए यज्ञोपवीत की तीन लड़ें हमें उन तीन तथ्यों की ओर हर घड़ी याद दिलाती हैं जिनके ऊपर जीवन सौन्दर्य का सारा आधार रखा हुआ है।

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