आचार्य श्रीराम किंकर जी >> दिव्य संदेश दिव्य संदेशहनुमानप्रसाद पोद्दार
|
6 पाठकों को प्रिय 166 पाठक हैं |
सरल भाषा में शिवपुराण
सात बातें
- ईश्वर के नाम का जप, स्मरण और कीर्तन करना चाहिये।
- ईश्वर के नाम का सहारा लेकर पाप नहीं करना चाहिये। जो लोग ईश्वर के नाम की ओट में पाप करते हैं, वे बड़ा अपराध करते हैं।
- ईश्वर के नाम का साधन कर उसके बदले में संसार के भोगों की कामना नहीं करनी चाहिये।
- ईश्वर के नाम को परमप्रिय मानकर उसका उपयोग उसीके लिये करना चाहिये।
- दम्भ नहीं करना चाहिये। दम्भ से भगवान् अप्रसन्न होते हैं। दाम्भिक की बुरी गति होती है।
- सच्चे ईश्वरभक्त, सदाचारपरायण, कर्तव्यशील होने के लिये गीताधर्मका आश्रय लेना चाहिये।
- दूसरे के धर्म की निन्दा या तिरस्कार नहीं करना चाहिये। ऐसे झगड़ों से सच्चे सुख के साधक को बड़ा नुकसान होता है।
अब इन सातों बातोंका अलग-अलग विवेचन किया जाता है-
1. जगत के ईश्वरवादी मात्र ईश्वरके नामको मानते हैं। भगवान के नाम से उसके स्वरुप की, गुणों की, महिमा की, दया की और प्रेम की स्मृति होती है। जैसे सूर्यके उदयमात्र से जगत के सारे अन्धकार का नाश हो जाता है, वैसे ही भगवन्नाम के स्मरण औऱ कीर्तन मात्र से ही समस्त दुर्गुण और पापोंका समूह तत्काल नष्ट हो जाता है। जिनके यहाँ परमात्मा जिस नाम से पुकारा जाता है, वे उसी नामको ग्रहण करें इसमें कोई आपत्ति नहीं।
|