आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देवदास देवदासशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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कालजयी प्रेम कथा
देवदास ने मुख की ओर देखकर कहा-'क्या?'
चन्द्रमुखी ने कहा-'बड़ी बहू-तुम्हारी भाभी-ने कहा था कि तुम्हारे शरीर में बुरा रोग उत्पन्न हो गया है, यह क्या सच है?'
प्रश्न सुनकर देवदास को दुख हआ, कहा-'बड़ी बहू सब कह सकती है, किन्तु क्या तुम नहीं जानती? मेरा कौन-सा भेद तुम नहीं जानतीं? एक विषय में तो पार्वती से भी बढ़ी हुई हो।'
चन्द्रमुखी ने एक बार आंख पोछकर कहा-'सब समझ गयी। परन्तु फिर भी खूब सावधानी से रहना। तुम्हारा शरीर निर्बल है, देखो किसी प्रकार की त्रुटि न होने पावे।'
प्रत्युत्तर में देवदास ने केवल हंस दिया।
चन्द्रमुखी ने कहा-'और एक भिक्षा है, तनिक भी तबीयत खराब होने पर मुझे खबर अवश्य देना।
देवदास ने उसके मुख की ओर देखकर सिर नीचा करके कहा-'दूंगा - अवश्य दूंगा बहू।' फिर एक बार प्रणाम करके चन्द्रमुखी रोती हुई दूसरे कमरे में चली गयी।
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