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आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देवदास

देवदास

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :218
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9690
आईएसबीएन :9781613014639

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कालजयी प्रेम कथा


देवदास ने मुख की ओर देखकर कहा-'क्या?'
चन्द्रमुखी ने कहा-'बड़ी बहू-तुम्हारी भाभी-ने कहा था कि तुम्हारे शरीर में बुरा रोग उत्पन्न हो गया है, यह क्या सच है?'

प्रश्न सुनकर देवदास को दुख हआ, कहा-'बड़ी बहू सब कह सकती है, किन्तु क्या तुम नहीं जानती? मेरा कौन-सा भेद तुम नहीं जानतीं? एक विषय में तो पार्वती से भी बढ़ी हुई हो।'

चन्द्रमुखी ने एक बार आंख पोछकर कहा-'सब समझ गयी। परन्तु फिर भी खूब सावधानी से रहना। तुम्हारा शरीर निर्बल है, देखो किसी प्रकार की त्रुटि न होने पावे।'

प्रत्युत्तर में देवदास ने केवल हंस दिया।

चन्द्रमुखी ने कहा-'और एक भिक्षा है, तनिक भी तबीयत खराब होने पर मुझे खबर अवश्य देना।

देवदास ने उसके मुख की ओर देखकर सिर नीचा करके कहा-'दूंगा - अवश्य दूंगा बहू।' फिर एक बार प्रणाम करके चन्द्रमुखी रोती हुई दूसरे कमरे में चली गयी।

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