लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देवदास

देवदास

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :218
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9690
आईएसबीएन :9781613014639

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

367 पाठक हैं

कालजयी प्रेम कथा


उसी दिन डाक्टर ने आकर बहुत देर तक परीक्षा करने के बाद यही आशंका स्थिर की। औषध लिख दी तथा बताया कि यदि विशेष सावधानीपूर्वक न रहा जायेगा तो भारी अनिष्ट होने की सम्भावना है। दोनों ही ने इसका तात्पर्य समझा। पत्र द्वारा घर से धर्मदास को बुलाया गया और चिकित्सा के लिए बैंक से रुपया आया। दो दिन इसी भांति बीत गये, किन्तु तीसरे दिन ज्वर का आविर्भाव हुआ।'

देवदास ने चन्द्रमुखी को बुलाकर कहा-'बड़े अच्छे समय से आयी, नहीं तो मुझे यहां कौन देखता?'

आंसू पोंछकर चन्द्रमुखी प्राणपण से सेवा करने बैठी। दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना की-'भगवान्, ऐसे असमय में इतना काम आ पड़ेगा, यह स्वप्न में भी आशा नहीं थी। किन्तु देवदास को शीघ्र अच्छा कर दो।'

प्राय: एक मास से ऊपर अधिक देवदास चारपाई पर पड़े रहे, फिर धीरे-धीरे आरोग्य होने लगे। रोग अधिक बढ़ने नहीं पाया।

इसी समय एक दिन देवदास ने कहा-'चन्द्रमुखी, तुम्हारा नाम बहुत बड़ा है। पुकारने में कुछ असुविधा-सी होती है, इसे थोडा छोटा कर देना चाहता हूं।'

चन्द्रमुखी ने कहा-'अच्छी बात है।'

देवदास ने कहा-'आज से तुम्हें 'बहू' कह के पुकारूंगा।'

चन्द्रमुखी हंस पडी, कहा-'इसे पुकारने का कोई मतलब भी होना चाहिए।'

'क्या सभी बातों का मतलब हुआ करता है? मेरी इच्छा।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book