ई-पुस्तकें >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
तुम्हीं
तुम्हीं फिर से आ जाओ
लेकर बहार फूलों की
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की।
तुम आओ तो आ जाए
बसंत बयार ठंडी पूर्व से
ठूंठ निर्जीव सा पड़ा हूं मैं
फूंट पड़ेंगी कोंपले मुझमें
हरियाली लेकर तुम आओ।
हंसी खिली हुई वादियों की।
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की।
जीवन की अब आश तुम्हीं हो
लुप्त सांसों की सांस तुम्हीं हो
तुम्हीं से है मेरा रैन बसेरा
आने वाली बरसात तुम्हीं हो
लेकर बहारें तुम ही आओ
क्यों करती हो अब तुम देरी।
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की।
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