ई-पुस्तकें >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
तुम्हारा तन
तेरे कोमल मखमली बदन पर
सुगन्धित इत्र का महका सांया।
महका तन-मन सारा मेरा
महकी शीतल ठंडी हवा
फूलों के जैसा स्पर्श तेरा
शोभा सूरज की लाल लाली।
पूरा तन खिला है ऐसे
जैसे फूलों की हो डाली
आंखें पंखुरी कमल की
जो समुद्र के मध्य है रहता।
तेरे कोमल मखमली बदन पर
सुगन्धित इत्र का महका साया।
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