भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
याद
रात
जब थककर
हाथों के तकिए पे
सिर रखकर
सपनों के बिस्तर में
सो जाती है,
मेरे सिरहाने
बिना अलसाये
देर तक जागती
याद तुम्हारी!
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