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			 भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
 
मकसद
 मेरा मकसद
 एक ऐसा मुकाम है
 जहाँ-
 'तुम'
 बाहें फैलाए
 कर रही हो-
 मेरा इंतजार!
 
 वैसे, मकसद और इंतजार में
 कोई भेद नहीं होता!
 
 
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