भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
तुम, मेरे लिए
तुम
जरूरी हो
मेरे लिए
ठीक उसी तरह
जैसे-
चिड़िया के लिए
जरूरी नहीं होता
आँगन,
आँगन के लिए
जरूरी है
चिड़िया की चहक !
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