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पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597
आईएसबीएन :9781613015865

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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


दर्द अपना


सोचा था
कविता के तख़्त पर बैठकर
अपना भी रच डालूँ
इतिहास,
लेकिन
लिखने बैठा तो
कविता, इतिहास की गोद में
जा बैठी
कागज ने हवा का पल्लू थामा
और
कलम से समझौता कर लिया
स्याही ने।

फिर-
इतिहास के समक्ष.
अतीत ने
ख़ामोशी से
गर्दन झुका ली
शायद इतना ही था
अपना इतिहास।

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