भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
कविता के लिए
तुम
अपनी कुदाल
चलाते रहो,
शोषण की बात सोचकर
रोकना नहीं
अपने
यंत्रचालित से हाथ,
वरना-
मौत हो जाएगी
कविता की।
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