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पीढ़ी का दर्द
पीढ़ी का दर्द
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9597
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आईएसबीएन :9781613015865 |
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7 पाठकों को प्रिय
185 पाठक हैं
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
दृष्टिकोण
आज फिर
मैं,
एक नए घरौंदे में
प्रवेश करूँगा।
मेरे वजूद-
तुममें
यह सवाल उठ सकता है
कि आखिर क्यों
मैं,
हर रोज
अपना घरौंदा बदल देता हूँ?
दरअसल,
मैं, जिस घरौंदे में
एक दिन गुजारता हूँ
उसमें
तख़्त,
पलंग,
चारपाई
नहीं होते
बल्कि
मैं,
खुद अपनी कब्र पे सोता हूँ,
कब्र और घरौंदे से
समझौता करके
कोई
मुझसे यह हक भी न छीन ले
इसलिए
मैं,
हर बार
नए घरौंदे से अपनत्व जताता हूँ।
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पुस्तक का नाम
पीढ़ी का दर्द
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