ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
72. बड़े की शादी को अभी
बड़े की शादी को अभी
कुछ ही साल बीते थे
छोटे भी शादी लायक
होने ही बस जा रहे थे
छोटे बचे बस दोनों की भी
करके अच्छे से उनकी शादी,
मुक्त हो जाना चाहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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