ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
80. पर वो भी तो प्यार करे
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।
एक नहीं सौ बार करूँगा पर वो भी इक बार करे।।
मैंने माना मैं मृग हूँ, वो
मूल्यवान कस्तूरी है।
मैं हूँ उसके लिए और वो
मेरे लिए जरूरी है।
मैं सब कुछ स्वीकार करूँगा वो भी कुछ स्वीकार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
वो नदिया है मीठी-मीठी
मैं सागर खारा-खारा।
पर उसको बनना है इक दिन
मेरी ही कोई धारा।
मैं अपना व्यवहार करूँगा वो अपना व्यवहार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
'इश्क़ आग का दरिया होता'
इक शायर यह गाता है।
जो भी इसमें डूब सके बस
प्यार वही कर पाता है।
मैं यह दरिया पार करूँगा पर वो भी तो पार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
एक नहीं सौ बार करूँगा पर वो भी इक बार करे।।
मैंने माना मैं मृग हूँ, वो
मूल्यवान कस्तूरी है।
मैं हूँ उसके लिए और वो
मेरे लिए जरूरी है।
मैं सब कुछ स्वीकार करूँगा वो भी कुछ स्वीकार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
वो नदिया है मीठी-मीठी
मैं सागर खारा-खारा।
पर उसको बनना है इक दिन
मेरी ही कोई धारा।
मैं अपना व्यवहार करूँगा वो अपना व्यवहार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
'इश्क़ आग का दरिया होता'
इक शायर यह गाता है।
जो भी इसमें डूब सके बस
प्यार वही कर पाता है।
मैं यह दरिया पार करूँगा पर वो भी तो पार करे।
मैं तो उसको प्यार करूँगा पर वो भी तो प्यार करे।।
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