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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

79. फिर आये दिन इन्द्रधनुष के

 

कजरारे घन आये अनगिन कलश लिए जल के।
फिर आये दिन इन्द्रधनुष के बरखा-बादल के।।

दूर कहीं पर बैठा कोई
आज लिखे पाती।
जाने क्यों अब रात-रात भर
नींद नहीं आती।
मन करता है छेड़े कोई किस्से फिर कल के।
फिर आये दिन इन्द्रधनुष के बरखा-बादल के।।

रिमझिम-रिमझिम गीत सुनाता
ये मौसम कैसा।
चाह रहा हूँ मैं भी कोई
गीत लिखूँ ऐसा-
हो प्रसंग जिसमें राधा के कान्हा-गोकुल के।
फिर आये दिन इन्द्रधनुष के बरखा-बादल के।।

यक्ष सरीखा मन है फिर भी
समझ नहीं आये-
किसके द्वारा आज सँदेशा
भिजवाया जाये।
कहें किसी से अपनी पीड़ा चलो स्वयं चल के।
फिर आये दिन इन्द्रधनुष के बरखा-बादल के।।

 

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