ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
73. तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।
तुम अपना हाल बताओ हम अपना हाल बतायें।।
कुछ भाव तुम्हारे मन के
कुछ भाव हमारे मन के।
कुछ बातें हो यौवन की
कुछ किस्से हों बचपन के।
तुम भी मस्ती में गाओ हम भी मस्ती में गायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
ये नदिया और किनारे
ये चंदा और सितारे।
ये ख़ुशबू वाला मौसम
ये मस्ती भरे नज़ारे।
तुम और पास आ जाओ हम और पास आ जायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
जो चाहें हम वो पा लें
जो मन में हो कर डालें।
जो कहें न तुम वो टालो
जो कहो न हम वो टालें।
तुम आज नहीं शरमाओ हम आज नहीं शरमायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
तुम अपना हाल बताओ हम अपना हाल बतायें।।
कुछ भाव तुम्हारे मन के
कुछ भाव हमारे मन के।
कुछ बातें हो यौवन की
कुछ किस्से हों बचपन के।
तुम भी मस्ती में गाओ हम भी मस्ती में गायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
ये नदिया और किनारे
ये चंदा और सितारे।
ये ख़ुशबू वाला मौसम
ये मस्ती भरे नज़ारे।
तुम और पास आ जाओ हम और पास आ जायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
जो चाहें हम वो पा लें
जो मन में हो कर डालें।
जो कहें न तुम वो टालो
जो कहो न हम वो टालें।
तुम आज नहीं शरमाओ हम आज नहीं शरमायें।
तुम अपनी ग़ज़ल सुनाओ हम अपना गीत सुनायें।।
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