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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

71. अब तक जब संयोग लिखा है

 

अबतक जब संयोग लिखा है तो क्या आज वियोग लिखूँगा।
फिर यह कैसे सोच रहे हो- प्यार छोड़ कर योग लिखूँगा।।

हर ख़्वाहिश पूरी ही होगी
यह कहना मुश्किल होता है।
फिर भी अपनी है मजबूरी
दिल तो आख़िर दिल होता है।
त्याग बड़ा है पर दिल कहता भोग लिखो तो भोग लिखूँगा।
अबतक जब संयोग लिखा है तो क्या आज वियोग लिखूँगा।।

सुना वियोगी था पहला कवि
और आह से उपजी कविता।
लेकिन मेरे जीवन में तो
सुखद चाह से उपजी कविता।
तभी वियोग न भाये मुझको सदा सुखद संयोग लिखूँगा।
अबतक जब संयोग लिखा है तो क्या आज वियोग लिखूँगा।।

माना कल तक जो संभव थे
आज न वे पल आ सकते हैं।
लेकिन तुमसे पाये जो पल
क्या वे भूले जा सकते हैं।
संयोगों में किया आज तक तुमने जो सहयोग, लिखूँगा।
अबतक जब संयोग लिखा है तो क्या आज वियोग लिखूँगा।।

 

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