ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
70. हमने गीत लिखा है
तुमने कहा गीत लिख दो तो हमने गीत लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
जब तुमने आँखें खोलीं तो
हमने लिखा सवेरा।
और बंद की आँखें तुमने
तो लिख दिया अँधेरा।
तुमने छेड़ा राग सुरीला तो संगीत लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
हमने लिखा घटायें, तुमने
केश-राशि जब खोली।
झरने जैसी हँसी लिखी है
और शहद-सी बोली।
रूप तुम्हारा इतना भाया आशातीत लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
जाने कितनी ही उपमायें
तुममें और दिखी हैं।
तभी गीत में कितनी बातें
हमने और लिखी हैं।
सब कुछ लिख कर शब्द आखिरी हमने 'प्रीत' लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
जब तुमने आँखें खोलीं तो
हमने लिखा सवेरा।
और बंद की आँखें तुमने
तो लिख दिया अँधेरा।
तुमने छेड़ा राग सुरीला तो संगीत लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
हमने लिखा घटायें, तुमने
केश-राशि जब खोली।
झरने जैसी हँसी लिखी है
और शहद-सी बोली।
रूप तुम्हारा इतना भाया आशातीत लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
जाने कितनी ही उपमायें
तुममें और दिखी हैं।
तभी गीत में कितनी बातें
हमने और लिखी हैं।
सब कुछ लिख कर शब्द आखिरी हमने 'प्रीत' लिखा है।
आओ बैठो तुम्हें बतायें क्या-क्या मीत लिखा है।।
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