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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

69. कब तक यों तोड़ोगे वादे

 

कल आना था आज न आये अब कहते कल आओगे।
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?

वो वादा ही अच्छा लगता
जो पूरा हो जाता है।
वो अच्छा लगता, जो कहता
फिर करके दिखलाता है।
तुमने जो कुछ कहा उसे तुम कब करके दिखलाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?

वादा करना आसाँ है पर
उसे निभाना मुश्किल है।
कश्ती पर बैठाना आसाँ
पार लगाना मुश्किल है।
मुझे बताओ मेरी कश्ती क्या तुम पार लगाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?

जो जी चाहे कर डालो पर
वादा कभी न करना।
वादे तो होते हैं वादे
उन पर यकीं न करना।
'वादों की दुनिया है झूठी' इसको कब झुठलाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?

 

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