ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
68. हमको दिल से प्यार
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।
लेकिन दिल में क्या है उसका कभी करो इज़हार।।
अधरों से कुछ कह न सको तो
आँखों से ही कह दो।
हम भी दिल का हाल बता दें
हमको इतनी शह दो।
तभी जुड़ सकेंगे आपस में दिल से दिल के तार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
चलो किसी दिन चलें कहीं हम
दिन भर वहीं बितायें।
एक-दूसरे की बाँहों में-
चाहों में खो जायें।
हम दोनों के दिल का गुलशन हो जाये गुलज़ार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
कुछ सपने देखें हैं तुमने
कुछ देखे हैं हमने।
और जगाये हैं कुछ सपने
मतवाले मौसम ने।
सच्चाई के रँग में रँग दें सपनों का संसार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
लेकिन दिल में क्या है उसका कभी करो इज़हार।।
अधरों से कुछ कह न सको तो
आँखों से ही कह दो।
हम भी दिल का हाल बता दें
हमको इतनी शह दो।
तभी जुड़ सकेंगे आपस में दिल से दिल के तार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
चलो किसी दिन चलें कहीं हम
दिन भर वहीं बितायें।
एक-दूसरे की बाँहों में-
चाहों में खो जायें।
हम दोनों के दिल का गुलशन हो जाये गुलज़ार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
कुछ सपने देखें हैं तुमने
कुछ देखे हैं हमने।
और जगाये हैं कुछ सपने
मतवाले मौसम ने।
सच्चाई के रँग में रँग दें सपनों का संसार।
हमने माना तुम करते हो हमको दिल से प्यार।।
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