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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

67. जैसे रहती है पावनता

 

जैसे रहती है पावनता गंगा के जल में।
ऐसे ही तुम रहते हो मेरे अंतस्थल में।।

तुमसे पाकर चेतनता मैं
चहका करता हूँ।
और तुम्हारे कारण ही मैं
महका करता हूँ।
जैसे गंध सुहानी महका करती संदल में।
ऐसे ही तुम रहते हो मेरे अंतस्थल में।।

मीठी-मीठी एक कहानी
मुझसे कहती है।
एक मधुर धुन प्रतिपल मन में
बजती रहती है।
जैसे रुनझुन-रुनझुन गूँजा करती पायल में।
ऐसे ही तुम रहते हो मेरे अंतस्थल में।।

आँखों में घूमा करता है
मौसम बरसाती।
मुझे तुम्हारी सतरंगी छवि
कितना हर्षाती।
जैसे बिजली रह-रह कौंधा करती बादल में।
ऐसे ही तुम रहते हो मेरे अंतस्थल में।।

 

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