ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
64. तुम मेरे सपनों में आते
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।
कभी तुम्हारे सपनों में क्या बोलो मैं भी आता हूँ?
कितनी-कितनी ख़ुशियों वाली
मेरी वे सब रातें होतीं।
जिन रातों में घंटों-घंटों
तुमसे दिल की बातें होतीं।
सपनों में वो भी कह देता जिसे न यों कह पाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
सिर्फ़ रात ही नहीं मुझे वो
दिन भी बहुत सुहाना लगता।
क्या बतलाऊँ कितना अच्छा
मुझे तुम्हारा आना लगता।
अगर हक़ीक़त में न मिल सकूँ सपनों में मिल जाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
सोचो क्या जो सपने आते-
वे बस ऐसे ही आते हैं।
जीवन की कोई सच्चाई
भी वे हमको दिखलाते हैं।
सपनों में भी सच्चाई से रखता गहरा नाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
कभी तुम्हारे सपनों में क्या बोलो मैं भी आता हूँ?
कितनी-कितनी ख़ुशियों वाली
मेरी वे सब रातें होतीं।
जिन रातों में घंटों-घंटों
तुमसे दिल की बातें होतीं।
सपनों में वो भी कह देता जिसे न यों कह पाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
सिर्फ़ रात ही नहीं मुझे वो
दिन भी बहुत सुहाना लगता।
क्या बतलाऊँ कितना अच्छा
मुझे तुम्हारा आना लगता।
अगर हक़ीक़त में न मिल सकूँ सपनों में मिल जाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
सोचो क्या जो सपने आते-
वे बस ऐसे ही आते हैं।
जीवन की कोई सच्चाई
भी वे हमको दिखलाते हैं।
सपनों में भी सच्चाई से रखता गहरा नाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।।
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