ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
63. और किसी से प्यार न करना
यह है मेरा नम्र निवेदन प्रियतम तुम इनकार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
प्यार अपार तुम्हारे दिल में
वैसे तो मैंने यह माना।
लेकिन सबको नहीं बाँटना
दिल का यह अनमोल ख़ज़ाना।
मुझे समझना लक्ष्मण-रेखा, इस रेखा को पार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
तुम हँसमुख हो मिलनसार हो
इसीलिए सबको भाते हो।
वो ख़ुश होता जिसके सँग तुम
दो पल हँसते-मुस्काते हो।
लेकिन कोई प्यार समझ ले तुम ऐसा व्यवहार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
यों मालिक हो अपने दिल के
उसको चाहे जहाँ लगा लो।
अपने दिल के सिंहासन पर
जिसको चाहो उसे बिठा लो।
मगर कभी मेरे जीते जी तुम उसको स्वीकार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
प्यार अपार तुम्हारे दिल में
वैसे तो मैंने यह माना।
लेकिन सबको नहीं बाँटना
दिल का यह अनमोल ख़ज़ाना।
मुझे समझना लक्ष्मण-रेखा, इस रेखा को पार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
तुम हँसमुख हो मिलनसार हो
इसीलिए सबको भाते हो।
वो ख़ुश होता जिसके सँग तुम
दो पल हँसते-मुस्काते हो।
लेकिन कोई प्यार समझ ले तुम ऐसा व्यवहार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
यों मालिक हो अपने दिल के
उसको चाहे जहाँ लगा लो।
अपने दिल के सिंहासन पर
जिसको चाहो उसे बिठा लो।
मगर कभी मेरे जीते जी तुम उसको स्वीकार न करना।
जितना प्यार किया है मुझसे और किसी से प्यार न करना।।
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