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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे


समर्पण


पूज्य पिता

स्व. प्रेमनाथ द्विवेदी 'रामायणी'

की

पावन स्मृति को,

पूज्य माता

श्रीमती सुशीला देवी

के शुभाशीष को

और...
मेरे गीत समर्पित उसको जिसने ये लिखवाये हैं।
शब्द उसी से अर्थ उसी से भाव उसी से पाये हैं।।
मैंने ऐसा कब सोचा था-
गीत कभी लिख पाऊँगा मैं।
स्वर भी ऐसा नहीं मिला था
जो कि सोचता गाऊँगा मैं।
मेरे स्वर में गीत उसी ने गाये और सुनाये हैं।
मेरे गीत समर्पित उसको जिसने ये लिखवाये हैं।।
मैं तो एक माध्यम भर हूँ
वरना इनमें क्या है मेरा।
अगर न सूरज करे रौशनी
क्या हो सकता कभी सवेरा?
ये उसने ही किये प्रकाशित जन-जन तक पहुँचाये हैं।
मेरे गीत समर्पित उसको जिसने ये लिखवाये हैं।।
जो प्रवाह सौंपा है उसने
वैसा ही अब रहे निरंतर।
गीतों की यह पावन धारा
गंगा जैसी बहे निरंतर।
मैं भी सबको भाऊँ ज्यों ये गीत सभी को भाये हैं।
मेरे गीत समर्पित उसको जिसने ये लिखवाये हैं।।
- डॉ. कमलेश द्विवेदी

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