ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
29. आख़िरकार मामला क्या है
पहले मुझसे 'लव यू' बोला फिर वो बोला- 'झूठ कहा है।'
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
मुझसे प्यार नहीं है तो फिर
क्या मतलब 'लव यू' कहने का।
चुप रहता वो मैं न पूछता-
क्या कारण है चुप रहने का।
लगता इस 'लव यू' के पीछे कोई गहरा राज़ छिपा है।
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
पर उसने फिर ये क्यों बोला-
उसकी बात झूठ है सारी।
मतलब उसको प्यार नहीं है
तो उससे क्या रखना यारी।
उसको ही झूठा क्यों मानूँ ये सारा जग ही झूठा है।
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
दिल में आया उससे पूछूँ
जिसने ऐसी बात कही है।
तभी पता ये चल पायेगा-
कौन ग़लत है- कौन सही है।
उससे पूछा तो वो बोला- 'छेड़छाड़ का अलग मज़ा है।'
अभी समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है।।
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
मुझसे प्यार नहीं है तो फिर
क्या मतलब 'लव यू' कहने का।
चुप रहता वो मैं न पूछता-
क्या कारण है चुप रहने का।
लगता इस 'लव यू' के पीछे कोई गहरा राज़ छिपा है।
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
पर उसने फिर ये क्यों बोला-
उसकी बात झूठ है सारी।
मतलब उसको प्यार नहीं है
तो उससे क्या रखना यारी।
उसको ही झूठा क्यों मानूँ ये सारा जग ही झूठा है।
नहीं समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है?
दिल में आया उससे पूछूँ
जिसने ऐसी बात कही है।
तभी पता ये चल पायेगा-
कौन ग़लत है- कौन सही है।
उससे पूछा तो वो बोला- 'छेड़छाड़ का अलग मज़ा है।'
अभी समझ में आया मेरी आख़िरकार मामला क्या है।।
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