ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
30. तुम जीते हम हारे
अब तो मन की बात करो कुछ ओ मनमीत हमारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
हमने तो बस अपने मन को
तुमको सौंप दिया है।
अब तुम जानो कितने मन से
तुमने उसे लिया है।
बीच धार में नाव डुबो दो या ले चलो किनारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
मन का रिश्ता हर रिश्ते से
होता बहुत बड़ा है।
इसका तो आधार प्रेम है
जिस पर विश्व खड़ा है।
इस रिश्ते ने अमर किये हैं रिश्ते कितने सारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
इस रिश्ते के कारण मीरा
दीवानी कहलाती।
इस रिश्ते के कारण राधा
घर-घर पूजी जाती।
हम भी तुमसे जुड़े हुए हैं इस रिश्ते के मारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
हमने तो बस अपने मन को
तुमको सौंप दिया है।
अब तुम जानो कितने मन से
तुमने उसे लिया है।
बीच धार में नाव डुबो दो या ले चलो किनारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
मन का रिश्ता हर रिश्ते से
होता बहुत बड़ा है।
इसका तो आधार प्रेम है
जिस पर विश्व खड़ा है।
इस रिश्ते ने अमर किये हैं रिश्ते कितने सारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
इस रिश्ते के कारण मीरा
दीवानी कहलाती।
इस रिश्ते के कारण राधा
घर-घर पूजी जाती।
हम भी तुमसे जुड़े हुए हैं इस रिश्ते के मारे।
मन से मन की हार-जीत में तुम जीते हम हारे।।
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