ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
27. तुम ही मेरा जीवन हो
मैं घुँघरू तुम छम-छम हो मैं दिल हूँ तुम धड़कन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
कितनी दूरी तय कर के
मुझसे मिलने आते हो।
मुझको गले लगाकर तुम
मुझमें ही खो जाते हो।
मैं सागर खारा-खारा तुम गंगाजल पावन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
साथ तुम्हारा पाया तो
मुझको कितना मान मिला।
किसके-किसके माथे पर
मुझको भी स्थान मिला।
मैं साधारण पानी हूँ तुम मलयागिरि चन्दन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
मेरा परिचय थोड़ा-सा
पर तुम में व्यापकता है।
तुमसे जुड़कर कोई भी
मंज़िल को पा सकता है।
मैं मानस की चौपाई तुम पूरी रामायन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
कितनी दूरी तय कर के
मुझसे मिलने आते हो।
मुझको गले लगाकर तुम
मुझमें ही खो जाते हो।
मैं सागर खारा-खारा तुम गंगाजल पावन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
साथ तुम्हारा पाया तो
मुझको कितना मान मिला।
किसके-किसके माथे पर
मुझको भी स्थान मिला।
मैं साधारण पानी हूँ तुम मलयागिरि चन्दन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
मेरा परिचय थोड़ा-सा
पर तुम में व्यापकता है।
तुमसे जुड़कर कोई भी
मंज़िल को पा सकता है।
मैं मानस की चौपाई तुम पूरी रामायन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो- तुम ही मेरा जीवन हो।।
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