ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
|
7 पाठकों को प्रिय 386 पाठक हैं |
कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
22. अब तक केवल उसे जिया है
उसने मुझसे आज कहा है- उसने ये महसूस किया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
मैंने कभी नहीं सोचा था-
ऐसा भी कुछ कर सकता हूँ।
कविताओं से कभी किसी के
दिल में डूब-उतर सकता हूँ।
पर दिल के गहरे सागर में आज उतर कर देख लिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
कोई आदत नहीं नशे की
पर मस्ती में झूम रहा हूँ।
धरती पर हूँ पर लगता है-
मैं अम्बर में घूम रहा हूँ।
आज प्यार का जाम किसी के हाथों बस दो घूँट पिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
इज़्ज़त-शोहरत-दौलत सब कुछ
कविताओं से ही पायी है।
कविताओं से आज ज़िन्दगी
कितनी अधिक निखर आई है।
उसका ऋणी रहूँगा हरदम जिसने ऐसा हुनर दिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
मैंने कभी नहीं सोचा था-
ऐसा भी कुछ कर सकता हूँ।
कविताओं से कभी किसी के
दिल में डूब-उतर सकता हूँ।
पर दिल के गहरे सागर में आज उतर कर देख लिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
कोई आदत नहीं नशे की
पर मस्ती में झूम रहा हूँ।
धरती पर हूँ पर लगता है-
मैं अम्बर में घूम रहा हूँ।
आज प्यार का जाम किसी के हाथों बस दो घूँट पिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
इज़्ज़त-शोहरत-दौलत सब कुछ
कविताओं से ही पायी है।
कविताओं से आज ज़िन्दगी
कितनी अधिक निखर आई है।
उसका ऋणी रहूँगा हरदम जिसने ऐसा हुनर दिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे जिया है।।
¤ ¤
|
लोगों की राय
No reviews for this book