ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
21. तुम उससे प्यार नहीं करना
सबसे इकरार नहीं करना सब पर एतबार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
सारे फूलों में गंध नहीं
होता सबमें मकरंद नहीं।
लगते हैं अच्छे सब लेकिन
सबसे जुड़ते सम्बन्ध नहीं।
निर्गन्ध फूल का हार मिले उसको स्वीकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
ये प्यार नदी की धारा है
इसका जल मीठा-प्यारा है।
जो कोई इसमें डूब गया
उसको ही मिला किनारा है।
जब तक न समझना गहराई तुम नदिया पार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
सीता-रघुनन्दन से सीखो
राधा-यदुनन्दन से सीखो।
तुम प्यार अगर करना चाहो
मीरा से मोहन से सीखो।
ऐसा रिश्ता मिल जाये तो उससे इनकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
सारे फूलों में गंध नहीं
होता सबमें मकरंद नहीं।
लगते हैं अच्छे सब लेकिन
सबसे जुड़ते सम्बन्ध नहीं।
निर्गन्ध फूल का हार मिले उसको स्वीकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
ये प्यार नदी की धारा है
इसका जल मीठा-प्यारा है।
जो कोई इसमें डूब गया
उसको ही मिला किनारा है।
जब तक न समझना गहराई तुम नदिया पार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
सीता-रघुनन्दन से सीखो
राधा-यदुनन्दन से सीखो।
तुम प्यार अगर करना चाहो
मीरा से मोहन से सीखो।
ऐसा रिश्ता मिल जाये तो उससे इनकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।।
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