ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
9. फूल तुम्हारी राह में
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।
फिर आया है कैसे कोई शूल तुम्हारी राह में?
किसी तरह की कोई बाधा
तुम्हें न रस्ते में अटकाये।
मैंने चाहा मार्ग तुम्हारा
सुन्दर-सहज-सुगम हो जाये।
आँसू का जल छिड़का फिर भी धूल तुम्हारी राह में?
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
लगता है- मेरे प्रयास में
कोई कमी कहीं है अब भी।
पूरी तरह सफलता मैंने
पाई नहीं तभी है अब भी।
तभी परिस्थिति आई है प्रतिकूल तुम्हारी राह में।
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
उसके दर पर जाता अब भी
मैं उसको सजदा करता हूँ।
पर अब मैं रोज़ाना उससे
केवल यही दुआ करता हूँ-
कभी न कोई बाधा आये भूल तुम्हारी राह में।
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
फिर आया है कैसे कोई शूल तुम्हारी राह में?
किसी तरह की कोई बाधा
तुम्हें न रस्ते में अटकाये।
मैंने चाहा मार्ग तुम्हारा
सुन्दर-सहज-सुगम हो जाये।
आँसू का जल छिड़का फिर भी धूल तुम्हारी राह में?
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
लगता है- मेरे प्रयास में
कोई कमी कहीं है अब भी।
पूरी तरह सफलता मैंने
पाई नहीं तभी है अब भी।
तभी परिस्थिति आई है प्रतिकूल तुम्हारी राह में।
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
उसके दर पर जाता अब भी
मैं उसको सजदा करता हूँ।
पर अब मैं रोज़ाना उससे
केवल यही दुआ करता हूँ-
कभी न कोई बाधा आये भूल तुम्हारी राह में।
मैंने चुन-चुन सदा बिछाये फूल तुम्हारी राह में।।
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