ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
8. जो तुमसे प्यार न करता मैं
मेरी आँखों में सपनों का प्यारा संसार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
जब कोई ख़ुद से प्यार करे
तो दिल में प्यार उमड़ता है।
जो दर्पण जैसा दिखता है
दिल उसका हाथ पकड़ता है।
बिन दर्पण करना चाहो तो अच्छा श्रृंगार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
मुझको ख़ुद पर विश्वास बहुत
पर ख़ुद से ज़्यादा तुम पर है।
ख़ुद पर चाहे मैं कर न सकूँ
तुम पर जीवन न्यौछावर है।
लगता है- तुम बिन जीवन का कोई आधार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
प्रतिफल में प्यार न देते तुम
मैं तुमसे कैसे जुड़ पाता।
जो मेरा नाता है तुमसे
ख़ुद से भी वैसा है नाता।
तुमको स्वीकार न होता जो मुझको स्वीकार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
जब कोई ख़ुद से प्यार करे
तो दिल में प्यार उमड़ता है।
जो दर्पण जैसा दिखता है
दिल उसका हाथ पकड़ता है।
बिन दर्पण करना चाहो तो अच्छा श्रृंगार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
मुझको ख़ुद पर विश्वास बहुत
पर ख़ुद से ज़्यादा तुम पर है।
ख़ुद पर चाहे मैं कर न सकूँ
तुम पर जीवन न्यौछावर है।
लगता है- तुम बिन जीवन का कोई आधार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
प्रतिफल में प्यार न देते तुम
मैं तुमसे कैसे जुड़ पाता।
जो मेरा नाता है तुमसे
ख़ुद से भी वैसा है नाता।
तुमको स्वीकार न होता जो मुझको स्वीकार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।।
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