ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
7. आज तुम्हारा अलबम देखा
आज तुम्हारा अलबम देखा सारे चित्र मनोरम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
पहला चित्र कि जिसमें तुम हो
सागर तट पर खड़े किनारे।
लहरें तुमको भिगो रही हैं
कितने सुन्दर दिखें नज़ारे
लगता- इन लहरों से हम भी भीगे आज झमाझम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
चित्र दूसरा है जिसमें तुम
सुना रहे हो गीत तुम्हारा।
बजा रहे हैं लोग तालियाँ
गीत लग रहा सबको प्यारा।
गीत तुम्हारा है पर लगता- हम ही उसकी सरगम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
पहले से लेकर अंतिम तक
चित्र लगे सब हमको प्यारे।
सब चित्रों में हमने देखा
यों ही ख़ुद को साथ तुम्हारे।
चित्रों में साकार दिखो तुम हम यादों की अलबम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
पहला चित्र कि जिसमें तुम हो
सागर तट पर खड़े किनारे।
लहरें तुमको भिगो रही हैं
कितने सुन्दर दिखें नज़ारे
लगता- इन लहरों से हम भी भीगे आज झमाझम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
चित्र दूसरा है जिसमें तुम
सुना रहे हो गीत तुम्हारा।
बजा रहे हैं लोग तालियाँ
गीत लग रहा सबको प्यारा।
गीत तुम्हारा है पर लगता- हम ही उसकी सरगम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
पहले से लेकर अंतिम तक
चित्र लगे सब हमको प्यारे।
सब चित्रों में हमने देखा
यों ही ख़ुद को साथ तुम्हारे।
चित्रों में साकार दिखो तुम हम यादों की अलबम हैं।
कहीं नहीं हैं हम चित्रों में फिर भी लगता है- हम हैं।।
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