ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
125. जब तक जड़ से जुड़े रहोगे
जब तक जड़ से जुड़े रहोगे तब तक ही लहराओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
जड़ होगी मजबूत अगर तो
तरु भी होगा बलशाली।
जड़ में होगी हरियाली तो
तरु में होगी हरियाली।
जैसी होगी जड़ें तुम्हारी वैसा रूप दिखाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
साथ नदी के बहती रहतीं
जाने कितनी धारायें।
जाने कितनी तटबंधों को
तोड़-तोड़ बाहर जायें।
मूल धार के संग रहोगे तो सागर को पाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
ख़ुद को जिंदा रखना है तो
अपनी जड़ को सींचो तुम।
सच्चाई तो सच्चाई है
इससे आँख न मीचो तुम।
जब तक जड़ से सम्बंधित हो तुम चेतन कहलाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
जड़ होगी मजबूत अगर तो
तरु भी होगा बलशाली।
जड़ में होगी हरियाली तो
तरु में होगी हरियाली।
जैसी होगी जड़ें तुम्हारी वैसा रूप दिखाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
साथ नदी के बहती रहतीं
जाने कितनी धारायें।
जाने कितनी तटबंधों को
तोड़-तोड़ बाहर जायें।
मूल धार के संग रहोगे तो सागर को पाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
ख़ुद को जिंदा रखना है तो
अपनी जड़ को सींचो तुम।
सच्चाई तो सच्चाई है
इससे आँख न मीचो तुम।
जब तक जड़ से सम्बंधित हो तुम चेतन कहलाओगे।
जड़ से रिश्ता टूट गया तो निश्चित ही गिर जाओगे।।
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