लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

124. कसे रहो पतवार निरंतर

 

कसे रहो पतवार निरंतर देखो छूट न जाये।
कश्ती से साहिल का रिश्ता देखो टूट न जाये।।

माना साहिल तक जाने का
रस्ता बहुत कठिन है।
मगर ठान लो कुछ करने की
तो सब कुछ मुमकिन है।
संकल्पों का कोई भी घट देखो फूट न जाये।
कश्ती से साहिल का रिश्ता देखो टूट न जाये।।

लाख भँवर में कश्ती हो पर
धैर्य न छोड़ो अपना।
हर पल साहिल से मिलने का
आँखों में हो सपना।
कभी तुम्हारा सपना तुमसे देखो रूठ न जाये।
कश्ती से साहिल का रिश्ता देखो टूट न जाये।।

साहस हो तो बाधाओं से
बिलकुल नहीं डरेगी।
दरिया तो दरिया है, कश्ती
सागर पार करेगी।
बस कोई साहस की दौलत देखो लूट न जाये।
कश्ती से साहिल का रिश्ता देखो टूट न जाये।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book