लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

123. रिश्ते-नाते चक्रव्यूह हैं

 

रिश्ते-नाते चक्रव्यूह हैं जो भी इसमें फँस जाता है।
अंतिम द्वार तोड़कर इसका बाहर निकल नहीं पाता है।।

अपनों से लड़ने के पहले
वो अपने से ही लड़ता है।
और हरा कर अपने को ही
लड़ने को आगे बढ़ता है।
चाहे हारे चाहे जीते लेकिन हरदम पछताता है।
रिश्ते-नाते चक्रव्यूह हैं जो भी इसमें फँस जाता है।।

चुप रहकर भी जाने क्या-क्या
वो हरदम बोला करता है।
मन ही मन कितनी गाँठो को
वो बाँधा-खोला करता है।
पर जितनी गाँठें सुलझाता उतना ख़ुद को उलझाता है।
रिश्ते-नाते चक्रव्यूह हैं जो भी इसमें फँस जाता है।।

मन में मोह न होता तो फिर
कोई कभी विरुद्ध होता।
हम आपस में क्यों टकराते
हम में कोई युद्ध न होता।
लेकिन मोह हमेशा हमको इक-दूजे से लड़वाता है।
रिश्ते-नाते चक्रव्यूह हैं जो भी इसमें फँस जाता है।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book