ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
120. वो नाराज़ हो गया
पहले सच्चा था फिर झूठा अब मैं धोखेबाज़ हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
जब तक हाँ में हाँ करता था
तब तक मैं बिलकुल सच्चा था।
लेकिन इस आदत के कारण
उसकी नज़रों में बच्चा था।
मैं चिड़िया ही बना रहा वो धीरे-धीरे बाज़ हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
उसके किसी झूठ पर मैंने
जब स्वर में स्वर नहीं मिलाया।
उसने मुझको झूठा बोला
और स्वयं को सही बताया।
तबसे मेरी सारी बातों पर उसको एतराज़ हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
अब मैं भाव हृदय का कोई
उसके आगे नहीं जताता।
इसीलिये वो बहुत खफा है
मुझको धोखेबाज़ बताता।
कल कैसा रिश्ता था उससे कैसा रिश्ता आज हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
जब तक हाँ में हाँ करता था
तब तक मैं बिलकुल सच्चा था।
लेकिन इस आदत के कारण
उसकी नज़रों में बच्चा था।
मैं चिड़िया ही बना रहा वो धीरे-धीरे बाज़ हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
उसके किसी झूठ पर मैंने
जब स्वर में स्वर नहीं मिलाया।
उसने मुझको झूठा बोला
और स्वयं को सही बताया।
तबसे मेरी सारी बातों पर उसको एतराज़ हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
अब मैं भाव हृदय का कोई
उसके आगे नहीं जताता।
इसीलिये वो बहुत खफा है
मुझको धोखेबाज़ बताता।
कल कैसा रिश्ता था उससे कैसा रिश्ता आज हो गया।
मैंने पूछा- ऐसा कैसे, इस पर वो नाराज़ हो गया।।
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