ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
121. शब्दों की नइया
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।
लोग हमें कवि कहते हैं पर हम हैं नाव-खेवइया।।
शब्दों की इन नौकाओं पर
करते अर्थ सवारी।
अर्थों के सँग भावों की भी
रहती दुनिया न्यारी।
भाव हँसायें भाव रुलायें करवायें ता-थइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
शब्दों वाली ये नौकायें
करतब खूब दिखायें।
ये इठलायें ये बलखायें
ये डूबे-उतरायें।
अद्भुत करतब देख बजायें ताली सभी देखइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
ना ही ये अपनी नौकायें
ना अपना कौशल है।
जिसकी हैं नौकायें सारी
उसका ही सम्बल है।
उसको श्रद्धा और भक्ति से कहें सरस्वती मइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
लोग हमें कवि कहते हैं पर हम हैं नाव-खेवइया।।
शब्दों की इन नौकाओं पर
करते अर्थ सवारी।
अर्थों के सँग भावों की भी
रहती दुनिया न्यारी।
भाव हँसायें भाव रुलायें करवायें ता-थइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
शब्दों वाली ये नौकायें
करतब खूब दिखायें।
ये इठलायें ये बलखायें
ये डूबे-उतरायें।
अद्भुत करतब देख बजायें ताली सभी देखइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
ना ही ये अपनी नौकायें
ना अपना कौशल है।
जिसकी हैं नौकायें सारी
उसका ही सम्बल है।
उसको श्रद्धा और भक्ति से कहें सरस्वती मइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।।
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