लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

118. गीत स्वयं बन जायेंगे हम

 

गाते हैं हम गायेंगे हम मन की तान सुनायेंगे हम।
हर दिल में गूँजेंगे ऐसे गीत स्वयं बन जायेंगे हम।।

हमको ज़ोर दिखा सकते हो
बादल बनकर छा सकते हो।
हमको पूरा-पूरा ढककर
दुनिया को भरमा सकते हो।
पर तुम कितनी देर टिकोगे चमकेंगे-चमकायेंगे हम।
हर दिल में गूँजेंगे ऐसे गीत स्वयं बन जायेंगे हम।।

हमको आहत कर सकते हो
नाज़ुक पंख कतर सकते हो।
पिंजरे में भी रखकर शायद
थोड़ी दहशत भर सकते हो।
पर जब तक साँसों में साँसें चहकेंगे-चहकायेंगे हम।
हर दिल में गूँजेंगे ऐसे गीत स्वयं बन जायेंगे हम।।

हमको तोड़-मसल सकते हो
पैरों तले कुचल सकते हो।
हमसे ज़्यादा ताकतवर हो
जैसे चाहो दल सकते हो।
पर कैसे छीनोगे ख़ुशबू महकेंगे- महकायेंगे हम।
हर दिल में गूँजेंगे ऐसे गीत स्वयं बन जायेंगे हम।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book