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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

117. देखो फिर सावन आया है

 

रिमझिम-रिमझिम गीत सुनाता
देखो फिर सावन आया है।।

इतनी तपन लिए थी धरती
ज्यों सीता की अग्नि-परिक्षा।
वसुधा का सारा जड़-चेतन
माँग रहा था जल की भिक्षा।
तुलसी-बिरवा आँगन का फिर
धीरे-धीरे हरियाया है।
देखो फिर सावन आया है।।

बूँदें खेल रहीं बच्चों-सी
छुआ-छुई का खेल निरन्तर।
निर्धन की अभिलाषाओं-सा
चूने लगा फूस का छप्पर।
चंदा-सूरज दिखें नहीं अब
जाने किसने भरमाया है?
देखो फिर सावन आया है।।

युवा-हृदय के भावी सपनों
जैसा बढ़ा नदी का पानी।
कजरारे घन मुझसे कहते-
मेघदूत-सी लिखो कहानी।
नयनों की नदिया में कोई
आँसू बनकर लहराया है।
देखो फिर सावन आया है।।

पंख लगाये उड़ता बचपन
ऐसे हैं सावन के झूले।
पीव-पीव रट रहा पपीहा
वो प्रियतम को कैसे भूले।
परदेशी जाने कब आये
बिन देखे मन अकुलाया है।
देखो फिर सावन आया है।।

 

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