ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
111. जाओ-जाओ साथी जाओ
जाओ-जाओ साथी जाओ हमने दामन छोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
रिश्ते तब तक ही रिश्ते हैं
जब तक उनमें रहे सहजता।
ऐसे रिश्तों का क्या मतलब
जिनको मन ही नहीं समझता।
जिसको तुमने असहज माना वो रिश्ता ही तोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
आधे मन से नहीं कभी भी
कोई काम किया जाता है।
जिसके लिये जिया जाता है
पूरी तरह जिया जाता है।
पूरी तरह जियो रिश्तों को इसीलिए यह मोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
जब तक दिल को दिल से जोड़े
तब तक रिश्ते सुख देते हैं।
मगर तोड़ने लगते दिल को
तब ये कितना दुख देते हैं।
हमने रिश्तों का कच्चा घट स्वयं पकाया फोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
रिश्ते तब तक ही रिश्ते हैं
जब तक उनमें रहे सहजता।
ऐसे रिश्तों का क्या मतलब
जिनको मन ही नहीं समझता।
जिसको तुमने असहज माना वो रिश्ता ही तोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
आधे मन से नहीं कभी भी
कोई काम किया जाता है।
जिसके लिये जिया जाता है
पूरी तरह जिया जाता है।
पूरी तरह जियो रिश्तों को इसीलिए यह मोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
जब तक दिल को दिल से जोड़े
तब तक रिश्ते सुख देते हैं।
मगर तोड़ने लगते दिल को
तब ये कितना दुख देते हैं।
हमने रिश्तों का कच्चा घट स्वयं पकाया फोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।।
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