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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

110. फिर स्मृति में आया कोई

 

भूली-बिसरी कुछ यादों में नयन हो गये सावन-सावन।
फिर स्मृति में आया कोई हृदय हो गया पावन-पावन।।

मैंने घंटों अलबम पलटा
देखे अनगिन चित्र पुराने।
पता नहीं कब नींद आ गयी
सपने आकर लगे रिझाने।
फिर सपनों में आया कोई रात हो गयी चन्दन-चन्दन।
फिर स्मृति में आया कोई हृदय हो गया पावन-पावन।।

वातावरण सुगन्धित सारा
मेरा हर क्षण लगा महकने।
पंछी मेरी आशाओं का
फुदक-फुदक कर लगा चहकने।
फिर चितवन में आया कोई रूप हो गया दरपन-दरपन।
फिर स्मृति में आया कोई हृदय हो गया पावन-पावन।।

दिवस-निशा के महामिलन पर
संध्या ने सिन्दूर बिखेरा।
दोनों एकाकार हो गए
रहा न कुछ भी तेरा-मेरा।
फिर साँसों में आया कोई और हो गया जीवन-जीवन।
फिर स्मृति में आया कोई हृदय हो गया पावन-पावन।।

 

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