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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

112. अब न कभी भी प्यार करेंगे

 

कोई भी इज़हार करे पर हम न कभी इकरार करेंगे।
सच कहते हैं जीवन में अब हम न कभी भी प्यार करेंगे।।

पहले तो वे भोले बनकर
दिल में जगह बना लेते हैं।
जनम-जनम तक साथ निभाने
वाली क़समें खा लेते हैं।
ऐसा लगता है जैसे वे सब सपने साकार करेंगे।
सच कहते हैं जीवन में अब हम न कभी भी प्यार करेंगे।।

तब तक बहुत देर हो जाती
जब तक हमें समझ में आता।
आसमान का पंछी तब तक
आकर पिंजरे में फँस जाता।
अब न रहेंगे पिंजरे में हम फिर से गगन-विहार करेंगे।
सच कहते हैं जीवन में अब हम न कभी भी प्यार करेंगे।।

कभी सुना था प्यार दिलों के
गुलशन को महका देता है।
लेकिन यह तो अच्छे-ख़ासे
को बीमार बना देता है।
बीमारी से दूर रहेंगे, क्यों कोई उपचार करेंगे।
सच कहते हैं जीवन में अब हम न कभी भी प्यार करेंगे।।

 

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