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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

106. महकाने का वादा करके

 

महकाने का वादा करके कैसे भूल गये?
फूल भुला बैठे गुलशन को इतना फूल गये।।

हमने तो सोचा था कल तक
तुम खिल जाओगे।
इस गुलशन को सबसे ज़्यादा
तुम महकाओगे।
पर कैसे अपने स्वभाव के हो प्रतिकूल गये?
फूल भुला बैठे गुलशन को इतना फूल गये।।

हमें लगे तुम अपने जैसे
अपना मान लिया।
और तुम्हें ही हमने अपना
सपना मान लिया।
चूर कर दिया सपना तुमने, देकर शूल गये।
फूल भुला बैठे गुलशन को इतना फूल गये।।

दम्भ न करना खिलने का तुम
कितने खिलते हैं।
पर कितनों को प्रभु-पूजा के
अवसर मिलते हैं।
कितने खिले, धूल में गिरकर हो ख़ुद धूल गये।
फूल भुला बैठे गुलशन को इतना फूल गये।।

 

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