ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
105. हम करते हैं यही कामना
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।
और तुम्हारी ख़ुशियों में ही अपनी ख़ुशी मिले हमको।।
चंदा में इक धब्बा भी है
तुममें ऐसी बात न हो।
रातें हों जीवन में लेकिन
कभी अँधेरी रात न हो।
पूरनमासी बनो, मिटा दो दुनिया के सारे तम को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
सूरज से सब जलते पर क्या
चंदा से कोई जलता।
सूरज बाँटे ताप सभी को
चंदा बाँटे शीतलता।
जो तुमसे पाये शीतलता भूले अपने हर ग़म को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
लोग जिसे कल कर पाते हैं
वो सब कुछ तुम आज करो।
अपनी धरती-अपना अम्बर
पूरे जग पर राज करो।
सारे तारे फहरायें हर समय तुम्हारे परचम को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
और तुम्हारी ख़ुशियों में ही अपनी ख़ुशी मिले हमको।।
चंदा में इक धब्बा भी है
तुममें ऐसी बात न हो।
रातें हों जीवन में लेकिन
कभी अँधेरी रात न हो।
पूरनमासी बनो, मिटा दो दुनिया के सारे तम को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
सूरज से सब जलते पर क्या
चंदा से कोई जलता।
सूरज बाँटे ताप सभी को
चंदा बाँटे शीतलता।
जो तुमसे पाये शीतलता भूले अपने हर ग़म को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
लोग जिसे कल कर पाते हैं
वो सब कुछ तुम आज करो।
अपनी धरती-अपना अम्बर
पूरे जग पर राज करो।
सारे तारे फहरायें हर समय तुम्हारे परचम को।
हम करते हैं यही कामना-चंदा जैसे तुम चमको।।
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